सियार क्यों करते हैं हुआ हुआ ?



कुत्तों और सियारों की दुश्मनी बहुत पुरानी है। सियारों का रात्री आलाप और गावं  नगर में प्रवेश करना कुत्तों को कतई रास नहीं।
सियारों के प्रलाप के पीछे एक बहुत बड़ी व्यथा छुपी है।  पहले सियार गावं  में रहते थे और कुत्त्ते  खेतों में।  सियारोंका जीवन बहुत सुखमय था वो ग्रामीणों के पालतू पशुओं के रूप में बढ़िया भोजन और आवास पाते थे। कुत्ते  खेतों में भटक भटक बहुत दुखी थे, उन्होंने सियारों के साथ एक मीटिंग की और संधि का एक प्रस्ताव रखा। इस संधि के अनुसार एक साल कुत्ते गावं  में रहेंगे और एक साल सियार गावं  में रहेंगे। दयालु सियारों ने ये प्रस्ताव मान लिया और वो साल के अंत में गावं  छोड़ कर खेतों में चले गए। कुत्ते सुखपूर्वक गावों में रहने लगे।

उधर सियार गावों को छोड़कर बहुत दुखी थे और एक वर्ष के वनवास की कष्टदायी जिंदगी इस उम्मीद में गुजार रहे थे की अगले साल उन्हें फिर से ग्राम्य जीवन का सुख मिलने वाला था। इधर कुत्तों का प्रधान गांवों  के सुख से इतना आसक्त हो गया कि वो गावं  छोड़ने का विचार सपने में भी जाता, तो चौंक पड़ता था। उसने सारे कुत्तों के साथ एक सम्मलेन आयोजित किया, और सभी कुत्तों को ये निर्देश दिया कि, अपने सैन्य बल बढावो हम गांवों  का सुख और गांव नहीं छोड़ेंगे। जरुरत पड़ी तो उन मजबूत सियारों से युद्ध करेंगे।
 
साल का अंत हुआ सियारों ने एक दूत के माध्यम से अपना सन्देश कुत्ते के सरदार के पास भेजवा दिया। कुत्ते के सरदार ने दूत से कहला भेज कि, गिनती से तो एक साल हो गए है लेकिन अभी हमारे सुख के एक साल नहीं हुए है। जिस दिन हमारे सुख के एक साल हो जायेंगे हम गांव छोड़ देंगे। अगर तुमलोग ज्यादा जिद करोगे तो हम कुत्ते तुमलोगों के साथ युद्ध करने को तैयार हैं। कुत्तों की युद्ध की धमकी से सियार डर गए। अब सियारों ने आपस में मत्रणा की,  गावं में रहने से कुत्ते बहुत मजबूत हो गए है। इनकी संख्या भी बढ़ गयी है, अतः हमलोग इनसे युद्ध में नहीं जीत सकते हम में से एक सियार जायेगा और सिर्फ इतना पूछ कर आएगा "हुआ"? एक एक कर सियार गावं  में आते और "हुआ, हुआ, हुआ" करते कुत्ते भो भो कर उन्हें भगा देते। तब से अब तक सियारों ने इतना हुआ, हुआ किया  कि  हुआ हुआ सियारों की जुबान बन गयी.         

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