ब्राम्हण, चोर और दानव - Thief Brahmin and Demon


एक शहर में एक ब्राम्हण रहता था जिसने अपने सभी भौतिक सुख सुबिधाओं को त्याग दिया था। उसका नाम द्रोण था वह किसी भी विलासिता संबंधी वस्तुओं सुन्दर वस्त्र और सुगंध आदि का उपयोग नहीं करता था।

वह ठंडे गर्मी और बरसात के मौसम के दौरान भी पूजा की कठोर प्रथाओं का पालन किया करता था। इसके कारण, उसका शरीर दुबला और कमजोर हो गया था। उसके बाल और नाखून भी लंबे समय से देख भाल  नहीं करने के कारण काफी बढ़ गए थे।
उसके एक भक्त ने बछड़ों की एक जोड़ी भेंट की। वह बछड़ों का बहुत ख्याल रखता था और उन्हें अच्छी तरह से खिलता पिलाता था। इसके कारण कम समय में ही वो मोठे तगड़े हो गए।

एक दिन, एक चोर ने बछड़ों को देखा और सोचा, "मैं इसके पास से इन मोटे बछड़ों की चोरी करूँगा।"


उसने योजना बनाई है और रात में बछड़ों की चोरी करने के लिए एक रस्सी के साथ में ले कर आया। रास्ते में उसे  बहुत ही घृणित उपस्थिति में एक चोर से मुलाकात हुई।


चोर उसे देखकर डर गया और पूछा, "तुम कौन हो?"

दानव ने कहा, "मैं एक दानव हूँ। मैं हमेशा सच बलता हूँ और झूठ बोलने वाले से नफरत करता  हैं। तुम अपना परिचय दो !"

चोर ने कहा, "मैं एक चोर हूँ और एक भक्त ब्राम्हण के दो बछड़ों की चोरी करने जा रहा हूँ। "

चोर ने सच बता दिया। सच सुनकर दानव बहुत खुश हुआ उसने चोर से मित्रता कर दी। उसने चोर से कहा की तुम ब्राम्हण के बछड़ो को चुरा लेना और मैं ब्राम्हण को खा लूंगा। इस प्रकार हम दोनों का प्रयोजन सिद्ध हो जाएगा.
वे दोनों ब्राह्मण के घर के अंदर घुस गए और खुद को छिपा लिया। वे ब्राह्मण के सो जाने का इंतजार करने लगे ताकि, उन्हें अपने अपने कार्यों को पूरा करने का अवसर मिल जाये।
जैसे ही ब्राह्मण सो गया, दानव जो छुपा हुआ था बाहर आया और उसने ब्राम्हण को खाने के लिए  दांत और नाखून तैयार किये।

चोर इस डर से की ब्राम्हण के जागने से कही मेरा उद्देश्य व्यर्थ न चला जाए। चोर ने दानव से कहा की तुम तब तक ब्राम्हण पर खाने के लिए हमला मत करना जबतक मई बछड़ो को रस्सी से न बाँध लूँ।

लेकिन दानव इस बात से असहमत था , कि अगर बछड़े की चोरी करते समय वो  जोर जोर से बोलने लगे तो ब्राम्हण जग कर भाग जाएगा और मैं उसे नहीं खा पाउँगा ।


इस के कारण वे एक दूसरे से बहस में उलझ गए, और उनके तर्क का शोर सुनकर ब्राह्मण जाग उठा।

चोर ने ब्राम्हण से शिकायत की कि दानव आपको खाने की योजना बना रहा था। इसपर प्रतिक्रिया स्वरुप दैत्य ने भी खा की यह चोर आपके बछड़ो की चोरी करना चाहता था।
यह सुनकर ब्राम्हण मंत्र पढ़ना शुरू किया।  मंत्र के प्रभाव से दानव भाग गया। फिर ब्राम्हण ने एक छड़ी लिया और छड़ी से मार मार कर चोर को भगा दिया

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