Do mitra aur bhaalu - Bear and two friends


दो मित्र और भालू
दो मित्र थे दोनों में काफी घनिष्ठता थी। दोनों को एक दिन शहर से कुछ समान खरीदने जाना था। गावँ से शहर का रास्ता एक घने जंगल से होकर जाता था। जंगल में हिंसक जानवर रहते थे। अतः जंगल का रास्ता सुगम नहीं था। दोनों मित्रों ने साथ साथ शहर जाने का निश्चय किया और प्रण किया की किसी भी संकट की स्थिति में एक दूसरे का साथ नहीं छोड़ेंगे और हर विषम परिस्थिति का मिलकर सामना करेंगे। 

वे दोनों आपस में बातें करते हुए जंगल के रास्ते जा रहे थे तभी उनके सामेन एक जंगली भालू जाते दिखा। दोनों भालू को तो देख लिए थे लेकिन भालू उन दोनों को अभी नहीं देख पाया  था। उन दोनों की भालू से दुरी काफी कम थी अतः भालू का उनके पास आने का खतरा था।  तुरंत पहला मित्र जो फुर्तीला था तेज दौड़ता था दौड़ कर नजदीक के एक पेड़ पर चढ़ गया। लेकिन दूसरा मित्र जो थोड़ा शरीर से भारी था तेज नहीं दौड़ सकता था और उसे पेड़ पर भी चढ़ने नहीं आता था। उसने अपने दिमाग का उपयोग किया और जमीन पर मृतवत लेट जाने का विचार किया। दूसरा मित्र विपत्ति में संयम से काम लेकर सांस रोककर जमीन पर मुर्दे की तरह लेट गया।
संयोग बस भालू उसी रास्ते से आने लगा। जमीन पर लेते हुए आदमी के पास गया और वो उसे सूंघने लगा। लेटे हुए मित्र के कान के पास सूंघते हुए भालू को लगा की यह ब्यक्ति निष्प्राण है।  अतः वह उसे छोड़कर चला गया। जैसा की हम जानते है भालू मृत प्राणी का मांस नहीं खाते।

भालू के जाने के बाद पहला मित्र पेड़ से उतरा। जब वह पेड़ पर बैठा था तो भालू को अपने मित्र के कान में कुछ कहते हुए देखा था। पहले मित्र ने जमीन पर लेटे हुए मित्र के पास जाकर पूछ- भालू तुम्हारे कान में क्या कह रहा था। दूसरे मित्र नई अपने कपटी मित्र को जबाब दिया।  भालू बोल रहा था - प्यारे कभी भी किसी झूठे मित्र पर विश्वास नहीं करना।

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