Guilty Mind is Always Suspicious - Chor ki Dadhi me Tinka

चोर की दाढ़ी में तिनका - अपराधी स्वयं सशंकित रहता है

एक बार की बात है दक्षिण भारत में कृष्णदेव नाम के राजा राज करते थे।   वे बहुत ही न्याय प्रिय थे। प्रजा को न्याय मिले और दोषी को सजा मिले इसके लिए वो सदैव तत्पर रहते थे। कानून की पेचीदगी से किसी निर्दोष को सजा न मिल जाये इसके लिए वो सर्वदा प्रयासरत रहते थे। कई बार तो वेश बदलकर वो राज्य से रात  में बहार निकल जाया करते थे सचाई का पता लगाने के लिए।
एक बार उनके राजदरबार से एक कीमती स्वर्ण जड़ित आसानी की चोरी हो गयी। राजा ने सभी दरबारियों का दरबार बुलाया और चोरी किये गए आसन और चोर का पता  लगाने को कहा। दरबारियों ने राजा को आश्वस्त कर सभा को स्थगित की। राजा अपने दरबारियों से ही इस समस्या का हल चाहते थे।  वो देखना चाहते थे की किस कुसलता से हमारे दरबारी काम करते हैं। राजा कृष्णदेव चाहते थे की  उनकी तरह उनके दरबार के कर्मचारी भी अपने कर्म निष्ठा से करें।
दरबार की दो बैठक बीत जाने पर भी चोरी का पता नहीं लग सका तो राजा ने अपने स्तर पर प्रयास करने का निश्चय किया।
राजा को पता था की राजदरबार से हुई स्वर्ण जड़ित बैठने के आसनी  की चोरी किसी दरबारी ने  ही की है।
राजा कृष्णदेव ने सभी दरबारियों को सामान लंबाई की एक एक छड़ी दी और कहा की जो आसन चुराया होगा उसकी छड़ी कल सुबह एक फ़ीट बढ़ जाएगी।  कल इस छड़ी को आप सभी को लेकर राजदरबार में उपस्थित होना है। राजा ने यह कह कर सभा स्थगित किया।  सभी दरबारी अपने अपने छड़ी के साथ राजदरबार से अपने अपने घर वापस होने लगे।  दरबारियों में उत्सुकता थी की छड़ी कैसे १ फ़ीट बढ़ जाती है और चोर किस तरह पकड़ा जाता है।

इधर आसान चुराने वाला दरबारी भी दरबार में आया था। उसने राजा को कोसते हुए कहा देखते है वो इस छड़ी के माध्यम से चोर राजा कृष्ण देव को कैसे ढूंढ पाते हैं। चोर की भी चौरासी बुद्धि होती है।
अगले दिन सभी दरबारी दरबार में अपने अपने छड़ी के साथ पहुंचे। सभी दरबारी उत्सुकता  के मारे अपने अपने धैर्य खो रहे थे। सभी दरबारियों को अपनी अपनी छड़ी अपने सामने रखने को कहा गया जिससे राजा की दृष्टि छड़ी पर पड़े।
राजा ने देखा की सभी छड़ियों में से एक छड़ी छोटी दिख रही है। राजा को चोर को पकड़ते देर नहीं लगी। चोर दरबारी ने अपने छड़ी को १ फ़ीट काट कर छोटा कर लिया था।

राजा की बुद्धिमानी से चोर पकड़ा गया। 

इसे कहते है चोर की दाढ़ी में तिनका "यानी अपराधी स्वयं ससंकित रहता है"।

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