हजारों साल चलने वाला पंखा....एक बार एक
धूर्त पंखा बिक्रेता नगर मे घुम घुमकर पंखा बेच रहा था। पहले के जमाने मे
यातायात के साधन कम थे । बिक्रेता पैदल ही घुम घमकर फेरी लगाकर समान बेचते
थे ।
धुर्त बिक्रेता अवाज लगा रहा था । पंखा ले लो हजारों साल चलने वाला पंखा जन्म जन्मान्तर तक चलने वाला पंखा । नगर के सभी लोग आश्चर्य से पंखा बिक्रेता की ओर देख रहे थे लेकिन किसी को उससे पंखा खरीदने की हिम्मत नही हो रही थी।
पंखा बिक्रेता अवाज लगाते हुए राजा के महल के समीप पहुचा । पंखा बिक्रेता आवाज लगा रहा था ......हजारों साल चलने वाला पंखा।
धुर्त बिक्रेता अवाज लगा रहा था । पंखा ले लो हजारों साल चलने वाला पंखा जन्म जन्मान्तर तक चलने वाला पंखा । नगर के सभी लोग आश्चर्य से पंखा बिक्रेता की ओर देख रहे थे लेकिन किसी को उससे पंखा खरीदने की हिम्मत नही हो रही थी।
पंखा बिक्रेता अवाज लगाते हुए राजा के महल के समीप पहुचा । पंखा बिक्रेता आवाज लगा रहा था ......हजारों साल चलने वाला पंखा।
राजा
ने उसकी आवा ज सुनी और दरबारि यों से बुलाने को कहा। दरबारी पंखे वाले को
राजा के समक्ष प्रस्तुत किये । राजा ने पंखा बिक्रेता से पुछा कहो कैसा
पंखा बेच रहे हो .....बनिये ने राजा को पंखा दिखाया। राजा ने पुछा क्या यह
पंखा सच मे हजार साल चलने वाला है । बनिये ने कहा हा महाराज! राजा ने कुतु
हल बस पंखा खरीद लिया । राजा के सेवक राजा को पंखा झलने लगे । राजा के
सेवकों मे इस नये पंखे को झलने की होड लग गयी । राजा ने सेवकों का मन रखने
के लिए सभी सेवकों को अवसर दिया ।
अपनी अपनी
बारी आने पर सभी सेवक राजा को पंख झलते। सेवक दिर्घजीवी पंखा को देखकर
काफी उत्साहित थे पंख टूटने का दर नहीं थे अतः सभी अपने अपने अंदाज से राजा
को खुश करने के लिए पंखे झलते। सेवकों के इसी अंदाज से हजारों साल तक चलने
वाला पंखा कुछ ही घंटे में टूट गया।
राजा
ने पंखा टुटा देखा तो राजा को पंख बिक्रेता पर बहुत गुस्सा आया। उसने
अपने सैनिकों को आदेश दिया की जल्द से जल्द उस कपटी बनिए को मेरे समक्ष
प्रस्तुत करों। पंखा बिक्रेता उसी नगर में फेरी लगा रहा था। राजा के सैनिक
जल्द ही उसे पकड़कर राजा के सामने पेश किये।
राजा
ने प्रश्न किये ? कहो कपटी वणिक तुम मेरे राज्य के भोले भाले नागरिकों को
क्यों ठग रहे हो। क्यों तुम्हारा हजारों साल तक चलने वाला पंखा कुछ ही घंटे
में टूट गया। बोलो तुम्हारे साथ क्या न्याय किया जाए।
पंखा
बिक्रेता ने राजा से बड़ी सहजता से पूछा -> महाराज इस पंखे को किस
प्रकार झाला जा रहा था ? राजा ने कहा ये भी कोई पूछने की बात है पंखे जैसे
झले जाते हैं वैसे ही इसे भी झाला गया। सभी पंखे झलने की एक ही विधि है।
इसपर
बनिए ने कहा नहीं महाराज मैंने इस पंखे के साथ इसकी एक उपयोग विधि भी दी
थी। लाईये वो पर्ची दीजिये मैं इस पंखे की उपयोग विधि बताता हूँ। राजा के
सेवकों ने कहा वो तो हमने पढ़ी नहीं फ़ेंक दी। ढूंढने पर किंनारे फर्श पर
गिरी पर्ची मिल गयी। पंखा बिक्रेता पर्ची खोला और पंखा झलनेकी विधि पढ़ कर
बताने लगा।
पर्ची पर लिखे निर्देश के अनुसार पंखे को अपने नाक के सामने रखकर अपने सिर को हिलाना था।
राजा पंखा बेचने वाले के तर्क को सुनकर बहुत हंसे और प्रसन्न होकर उसका अपराध क्षमा कर दिया .
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