उपायेन ही यत्सक्यम न तत्सक्यम पराक्रमै
राज सरोवर के किनारे वृहद् नाम का बरगद का पेड़ था. वह पेड़ बहुत विशाल
था . इस पेड़ पर बहुत सारे पक्षी रहते थे. उस पेड़ पर एक वायस दम्पति (कौवे का
जोड़ा) भी रहता था. उस पेड़ के कोटर में एक सांप भी रहता था. सांप पेड़ पर लगे घोसले
में पक्षियों के अण्डों को खा लेता था. इससे पेड़ पर रहने वाले सभी पक्षी परेशान
थे. सभी ने मिलकर इस समस्या से निपटने का फैसला किया. सभी पक्षियों में कौआ सबसे चालाक होता है. सबने मिलकर सर्व सम्मति जताई और कौवे के अगुआई में उस विषैले
सांप से संघर्ष करने को तैयार हुए.
चालाक कौआ नीति का ज्ञाता भी था. उसने सभी पक्षियों को
संबोधित करते हुए कहा.—साथियों उपाय से जो संभव है वह पराक्रम से नहीं. (“उपायेन
ही यत सक्यम न तत सक्यम पराक्रमै”). हम सभी पक्षी पराक्रम कर इस भयानक सांप पर
विजय नहीं प्राप्त कर सकते. हमें कोई उपाय सोचना होगा.
फिर कुछ देर सोचने के बाद कौआ बोला इस बरगद के पेड़ के पास राज सरोवर
है जिसमे इस प्रदेश का राजा स्नान करने आता है. राजा स्नान करने से पहले अपने
वस्त्र आभूषण सरोवर किनारे रख कर स्नान करता है. हमें राजा के सेवकों से नजर बचाकर
राजा का कीमती हार उठा लेना होगा.
अपने दिनचर्या के अनुसार राजा सुबह सरोवर पर स्नान करने आये . राजा ने
अपने सिपाहियों को अपने वस्त्र आभूषण देखने को कहा और सरोवर में स्नान करने उतर गए
. कौआ राजा के सैनिकों से नजर बचाकर उनका हार चोंच में लेकर उड़ चला . रजा से
सैनिक पैदल और घुड़सवार कौवे का पीछा करने लगे. कौआ बरगद के पेड़ के उस कोटर में जिसमे सांप रहता था उस हार को गिरा दिया. राजा के सैनिकों ने कौवे को कोटर में हार
गिराते हुए देख लिया था. सैनिक शीघ्र कोटर के पास आ पहुंचे. सैनिकों ने कोटर में
आकर देखा कि वहां एक विषैला सांप है. उन्होंने सांप को मार दिया और राजा का हार
कोटर से निकाल कर लेते गए .
इसतरह कौवे की चतुराई से उसके अजेय दुश्मन सांप पर बरगद पर रहने वाले
पक्षियों ने विजय प्राप्त की.
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