वस्त्र जो आपको युवक बना दे, राजा और ठग की कहानी


 एक बार एक ठग नगर में फेरी लगा रहा था . वस्त्र ले लोवस्त्र ले लो युवा दिखने वाला वस्त्रनौजवान दिखने के लिए ये वस्त्र पहने. नगर के लोग बड़ी उत्सुकता से उसकी बात सुनते . धीरे धीरे ये बात राज दरबार तक पहुंची .

दरबारियों ने राजा से इस बात की चर्चा की. महाराज ! एक वस्त्र विक्रेता आया है जो ऐसे वस्त्र बेचने का दावा कर रहा  है जिसे पहन कर आदमी वय व किशोर दिखता है. अपने सभासदों से ये बात सुनकर राजा  ने उन्हें आज्ञा दिया की शीघ्र ही उस व्यापारी को हमारे सन्मुख प्रस्तुत किया जाए. राजा की आज्ञा के अनुसार उस वणिक को राजा के सम्मुख प्रस्तुत किया गया.

ठग वणिक ने राजा के तरफ बहुत विश्वास भरी दृष्टि से देखा. राजा ने बनिये से पूछा क्या तुम ऐसा वस्त्र रखे  हो जिसे धारण करने से कोई अधेड़ उम्र का व्यक्ति भी युवा दिखने लगेगा. वनिए ने स्वीकृति में सिर हिला दिया. राजा ने कहा! फिर तुम वो वस्त्र मुझे शीघ्र दिखावो.

इसपर उस ठग वस्त्र विक्रेता ने कहा!

महाराज ये वस्त्र सचमुच धारण करने वाले को युवक सदृश बना देता है लेकिन एक शर्त है. ये सिर्फ बुद्धिमानों को ही दिखेगा अबोध मंद्बुधि लोगों पर इसका कोई असर नहीं होगा . अर्थात आपको वस्त्र धारण किये हुए अगर कोई बुद्धिमान व्यक्ति देखता है तो आप युवक दिखेंगे वही एक मतिमंद को आप पूर्ववत दिखेंगे .

राजा ने बनिए के इस शर्त को स्वीकार कर लिया . अब राजा के दरबारी बनिए द्वारा दिए गए शर्त पर विचार कर अपने अपने को उसके अनुसार तैयार करने लगे . राजा के मंत्रीरानी तथा दुसरे मुख्य सभासदों ने सोचा की यदि राजा वस्त्र धारण करने पर हमें युवक नहीं दिखे तो हमारी नौकरी तो संकट में अतः मैं भी बोलूँगा की राजा युवक सदृश दिख रहे हैं .

राजा की अनुमति से उस ठग ने राजा के पुरे वस्त्र उतरवा दिए फिर अपने हाथ से राजा के शारीर पर कपड़ों की पट्टी लगा कर कुछ देर बाद उस पट्टी को भी उतार दिया.
राजा अब बिलकुल नग्न थे. अब ठग ने सबसे पहले राजा के मंत्री से पूछा क्या महाराज आपको युवक दिख रहे हैं . मंत्री को तो राजा नग्न ही दिख रहे थे, लेकिन अगर वह सच बोल दे तो राजा समझेंगे मेरा मंत्री मुर्ख है तभी इसको मेरा युवा शारीर नहीं दिख रहा है. यही सोचकर मंत्री ने उस ठग से कहा की महाराज तो अब सचमुच युवक दिखने लगे. इसी तरह की प्रतिक्रिया रानी और सभी सभासदों की थी .


अब राजा  ने इस ख़ुशी में जुलुस निकालने का आदेश दिया. राजा  अपने इस नए रूप में हाथी पर बैठ कर नगर भ्रमण के लिए निकल पड़े. राजा को इस रूप में देखकर लोग शर्म के मारे नजरें झुका ले रहे था. राजा  इसे अपने नागरिकों का अभिवादन समझ रहे थे. कुछ दूर जाने के बाद नगर में खेल रहे बच्चों की नजर जुलुस पर पड़ी उन्होंने जोर जोर से शोर मचाना शुरू किया अपने महाराज नंगे महाराज नंगे.

बच्चों के मुख से ऐसा सुनकर राजा  ने अपने समीप बैठे मंत्री से पूछा महामंत्री ये बच्चे ऐसा क्यों कह रहें हैं . इसपर मंत्री ने कहा ! महाराज ये बच्चे अबोध हैं अतः आप इन्हें युवक नहीं दिख रहे हैं .

रजा नगर भ्रमण कर घर पहुंचे. राजा ने मंत्री को पास बुलाया. उन्होंने मंत्री से कहा हमें तो लग रहा था, वो बच्चे ही सही कह रहे थे. क्योंकि ऐसा सच बोलने में इनको कोई राज दंड का भय नहीं सता रहा था. यह बच्चों की निर्भय अभिव्यक्ति थी. वहीँ दूसरी ओर हमारे सभी सभासद रानियाँ और आप भी भयवश अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे. मंत्री ने राजा से नतमस्तक होकर माफ़ी मांगी. राजा ने अपने मंत्री से कहा भविष्य में आप किसी भी बात पर उन बच्चों की तरह निर्भय होकर प्रतिक्रिया देंगे.